चिरई रहती जे हम मयरिया Chirai Rahti Je Hum Mayariya - Ravindra Singh Jyoti Lyrics In Hindi
चिरई…. रहती जे हम मयरिया
उडी चली ययति रउरि दुवरिया
चुनी चुनी खयति अक्षत के दनवा
फुदक फुदक हो अंगनवा
रहती तोहरे भवनवाँ मईया
रहती तोहरे भवनवाँ ना
हे मइया कटी दुःख
होला चारो ओरी सुख
जब जब आयी रउरि शरनिया
हो मन बनी जाला मोर
नाचे होइके बिभोर
जब माथा टेकि चरनिया
जुगनू…….रहती जे हम मयरिया
उडी उडी बइठीत रउरि चुनरिया
जगमग चुनरी करीत सब दिनवा
जैसे तरई गगनवा
रहती तोहरे भवनवाँ मईया
रहती तोहरे भवनवाँ ना
सोना चांदी के महल
सुख ना दे एक पल
नीक लागे माई रउरि दुवरिया
हमरे चारो ओरी मेला
फिर भी लागेली अकेला
जबले देखि ना भर नजरिया
दियरा……रहती जे हम मयरिया
जगमग करती रउरी मंदिरिया
बनिके दियनवा जरित रातो दिनवा
रूपवा निरखत नयनवा
रहती तोहरे भवनवाँ मईया
रहती तोहरे भवनवाँ ना
बाजे शंख नगाड़ा
जब गूंजे जयकारा
रोम रोम बहे भक्ति के धारा
मृतुंजय हाथ जोरि
कहे सुनी मइया मोरी
रउवा बिन ना होखी गुजरा
निमिया……रहती जे हम मयरिया
झलती शीतली हो बयरिया
निमिया के डरिया पे
झुलतु झुलनवा
हमहू झुमित अंगनवा
रहती तोहरे भवनवाँ मईया
रहती तोहरे भवनवाँ ना
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